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Acharya89's blog
लक्ष्मी मंत्र ब धन प्राप्ति प्रयोग
धन प्राप्ति प्रयोग मंत्र की जरिये आज हम ऐसे शक्तिशाली मंत्र की बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे , जिस मन्त्रको हम प्रयोग करके या अपने जीबन में उतार कर धनबान और एक सफल ब्यक्ति भाब से समाज में मान सन्मान प्रतिष्ठा प्राप्त कर सके .. तो देर किस बात की आगे बढ़ कर धन प्राप्ति प्रयोग मंत्र की बारे में जानते हैं ।
सुरसुन्दरी यक्षिणी साधना
सुरसुन्दरी यक्षिणी सबसे सुंदर स्त्री होती है । संभव है आपको वैसी स्त्री कहीं पर भी ना मिले । सुरसुन्दरी यक्षिणी के दर्शन यदि आप कर लेते हैं तो यह आपके लिए सौभाग्य की बात होगी । लेकिन इतना माना जाता है कि यह सुंदरता मे सबसे अच्छी होती है । आपको बतादें कि यह भौतिक सुंदरता नहीं होती है । क्योंकि यक्षिणी का कोई सुंदरता की वजह से ही इसको सुरसुन्दरी यक्षिणी कहा गया है । भौतिक शरीर नहीं होता है । इनका शरीर अपंचिक्रत होता है ।
विद्युतप्रभा यक्षिणी साधना क्या है?
विद्युतप्रभा यक्षिणी एक वार साधक के जिवन मेँ आजाय तो साधक को कोई और साधना करने कि जरुरत नही है । यक्षिणी दुर्गा माँ के सेवक है, ईस लिये दुर्गा माँ तरहा ही शक्ति शाली है । आप तो जानते है, यक्षिणीया सब धन के रखवाली करती है । गाढा हुआ धन आगर वहुत वर्ष गाढा हुआ रहता तो यह धन का देवी यक्षिणीया बान जाति है । रात को यह धन लेकर घुमती हे । कोई ईनको रात को देखा होगा, तो पाता होगा, देखने मे ए आग के गोला तरहा दिखती हे फिर किसि पेड मेँ अदुश्य हो जाति है ।
वनस्पति यक्षिणि साधना कैसे करें?
कुछ ऐसी यक्षिणियां भी होती हैं , जिनका वास किसी विशेष वनस्पति ( वृक्ष – पौधे ) पर होता है । उस वनस्पति का प्रयोग करते समय उस यक्षिणी का मंत्र जपने से विशेष लाभ प्राप्त होता है । वैसे भी वानस्पतिक यक्षिणि साधना की जा सकती है । अन्य यक्षिणियों की भांति वे भी साधक की कामनाएं पूर्ण करती हैं ।
वानस्पतिक यक्षिणियों के मंत्र भी भिन्न हैं । कुछ बंदों के मंत्र भी प्राप्त होते हैं । इन यक्षिणि साधना में काल की प्रधानता है और स्थान का भी महत्त्व है ।
माहेन्द्री यक्षिणी देवी मंत्र साधना
माहेन्द्री यक्षिणी आवाहन मंत्र :
“ओम् नमो माहेंन्द्र परवत निवासिनी आवेही गच्छ फट् ।।” [[१०८बार पहले ये मंत्र को जपकर के ही साधना चालू करें । ]]
माहेन्द्री यक्षिणी साधना मंत्र :
{{ ओम् नमों माहिन्द्री कुल कुल युल युल स्वाहा ।।}}
जब आकाश में इंद्रधनुष निकले तभी से ये साधना चालू कर देनी चाहिये । ये साधना कुल ३१दिन की हैं यद्धपि इसमें और भी समय लग सकता है ।
भूतिनी यक्षिणी साधना
सा भूतिनी कुण्डलधारिणी च सिन्दूरिणी चाप्यथ हारिणी च ।
नटी तथा चातिनटी च चैटी कामेश्वरी चापि कुमारिका च ॥
भूतिनी यक्षिणी बहुत रुप धारण कर लेती है , जैसे कुण्डल धारण करने वाली , सिन्दूर धारण करने वाली , हार पहनने वाली , नाचने वाली , अत्यन्त नृत्य करने वाली , चेटी , कामेश्वरी और कुमारी आदि रुपों में आती हैं ।
भूतिनी यक्षिणी का मंत्र निम्न है – "ॐ ह्रां क्रूं क्रूं कटुकटु अमुकी देवी वरदा सिद्धिदा च भव ओं अः ॥ ”
लक्षमी यक्षणी साधना
लक्ष्मी यक्षणी कुबेर ने धन पूर्ति के लिए महा लक्ष्मी की साधना की तो महा लक्ष्मी ने पर्सन हो कर वर मांगने को कहा तो श्री कुबेर जी ने उन्हे अपने लोक अल्का पूरी में निवास करने को कहा तो लक्ष्मी जी ने व्हा यक्षणी रूप में निवास किया और तभी से वहाँ धन की स्दह पूर्ति होती रहती है ।
गुप्त शोधनी देवी साधना कैसे करें ?
तंत्र शास्त्र में जब इन्सान आगे निकल जाता है ,तो वायु मण्डल मे उसे मंत्र सुनाई देने लगते है ।
और स्वतः ही उसके मष्तिस्क मे मंत्र आने लगते है और विधी भी ,जैसे कोई अद्रश्य शक्ति कहती है की यैसा करने से ये होगा ।
ये साधना है शोधनी की जो की यक्ष यछनी की सन्तान है ये आपको आत्माओ को देखने और शक्तियो से बात करने की छमता आप मे विकशित करगी ।
शोधनी देवी मंत्र : “ ऊँ शोधनी दैव्यायै प्रिय प्रिय स्वाहा ”
धनदा रति प्रिया यक्षिणी साधना कैसे करें ?
नाम से ही समझ में आता है की ये यक्षिणी साधक की सारी आर्थिक तंगी को दूर कर उसे आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है। अगर ये प्रसन्न हो जाये तो साधक कुबेर की भाती जीवन जीता है।