कर्णपिशाचिनी साधना एक प्राचीन और गुप्त तांत्रिक कला है , जिसमे ब्यक्ति अद्दितीय शक्तियों को प्राप्त करने केलिए उपासना और मंत्रों का अभ्यास करता हैं । इस साधना के माध्यमसे आत्मा की उर्जा को जागृत किया जाता है और अत्यधिक साधना और समर्पण के साथ सिद्धि प्राप्त किया जा सकता है । यह एक गहरी और मानसिक अभ्यास है जो आत्मा के साथ जुडा होता है और अद्दितीय अनुभबों का द्वारा खोल सकता है ।
दुर्लभ कर्णपिशाचिनी साधना मंत्र :
कर्णपिशाचिनी मन्त्र : “ॐ ह्रीम कर्ण पिशाचिनी वाग्वादिनी वाग्वादिनी हुम् फट स्वाहा।”
मन्त्र विधि- यह साधना मन्त्र अत्यंत दुर्लभ है । यह 7 दिन की सिद्धि होती है । यह मन्त्र किसी भी पुस्तक में नही मिलेगा। यह गुरूमखी मन्त्र है जो गुरु प्रथा से चलता है ।
साधक काले वस्त्र, काले आसन पर बैठकर अपने सामने पूजा सामग्री लगाकर मन्त्र सिद्ध करता है । साधना के चौथे दिन से साधक के कानों में आवाज आनी शुरू हो जाती है और 5,6, अंतिम दिन कर्णपिशाचिनी नग्न अवस्था मे साधक के सामने आती है और भयभीत करती है किंतु साधक को डरना नही चाहिये । यह देवी 35 वर्षीय सुंदर स्त्री रूप में सफेद वस्त्र धारण किये होती है ।
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जय माँ कामाख्या