धन प्राप्ति तो एक ऐसी क्रिया हैं जो सबके मन को भांति हैं जीवन मे धन के बिना किसी भी चीज का वैसा अस्तित्व नही हैं जैसा की होना ही चाहिए । आधिन्काश आवश्यकताए तो केबल धन के माध्यम से कहीं जायदा सुचारू रूप से पूरी हो जाती हैं ..पर धन का आगमन भी तो एक अनिवार्य आवश्यकता हैं पर जो एक बंधी बंधाई धन राशि हर महीने मिलती हैं वह तो एक निश्चित रूप से खर्च होती हैं.. पर कहीं से यदि कोई आकस्मिक धन यदि हमें मिल जाता हैं तो वह बहुत ही प्रसन्नता दायक होता हैं । पर यह आकस्मिक धन आये कहाँ से ..यह सबसे बड़ा प्रश्न अब हर किसी को तो गडा धन नही मिल सकता हैं । तो व्यक्ति नए नए माध्यम देखता हैं कि कैसे इसकी सम्भावनए बनायी जाए या हो पाए । और सबसे ज्यादा हर व्यक्ति का रुझान हैं तो वह् हैं शेयर मार्केट की ओर…रोज जो भी सुचनाये आती हैं वह होती हैं शेयर मार्केट की.. की उसने इतना फायदा लिया या वह पूरी तरह से बर्बाद हो गया ..फिर भी लोग धनात्मक पक्ष कहीं जयादा देख्ते हैं । मतलब की फायदा होता ही हैं । अब जो लंबी अवधि के लिए अपना धन लगाते हैं वह कहीं ज्यादा लाभदायक होते हैं और जो कम अवधि के लिए उनके लिए क्या कहा जाए यह बहुत ही ज्यादा जोखिम भरा सौदा हैं । पर एक धन प्राप्ति मंत्र साधना ऐसी भी हैं जिसके सफलता पूर्वक करने से व्यक्ति का जोखिम बहुत कम हो जाता हैं .. और व्यक्ति को लाभ की सम्भावनाये कहीं अधिक होती हैं ।
धन प्राप्ति मंत्र साधना जप संख्या –
११ हज़ार हैं दिन् निर्धारित नही हैं जब जप समाप्त हो जाये तो १०८ आहुति इस मन्त्र से कर दे । और आप देखेंगे इस धन प्राप्ति मंत्र साधना कि प्रभाब से स्वयं ही नए नए स्त्रोत से घनागम की अवश्यकताए पूरी होती जाएँगी । वस्त्र पीले और आसन भी पीला रहेगा । जप प्रातः काल कहीं जयादा उचित होगा ।
दिशा पूर्व या उत्तर उचित रहेगी ।
किसी भी माला से जप किया जा सकता हैं ।
सदगुरुदेव का पूजन, जप समर्पण और संकल्प लेकर ही यह साधना आप शुरू कर सकते हो ..यह तो साधना का एक अनिवार्य अंग ही है ।
धन प्राप्ति मंत्र साधना :
“आकाश चारिणी यक्षिणी सुंदरी आओ धन लाओ मेरी झोलो भर जाओ ।
वर्षा करो धन की जैसे बादल वर सै जल की । कुबेर की रानी
यक्षिणी महरानी कसम तेरे पति की लाज रख जन की । सच्चे गुरु का
चेला बांटू प्रसाद मेवा करूँ तेरी जय सेवा जय यक्षिणी देवा । । ”
धन प्राप्ति मंत्र साधना सिद्ध करने के बाद जो भी आप व्यापर या शेयर में अपन धन लगते हैं उसमे से जो आपको लगता हैं की आपका अधिक प्रोफिट हैं उस धन के कुछ हिस्से को …मतलब जो धन पाए ..उसमे अपने गुरु का और देवीके नाम का कुछ भाग निकाल ले …. या उस धन के हिस्से को …. गुरु को देकर यक्षिणी को मेवा आदि अर्पित कर दे ।
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जय माँ कामाख्या