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रतिप्रिया यक्षिणी साधना और विधि विधान

Submitted by Acharya89 on Mon, 05/20/2024 - 20:03

माला : सफ़ेद हकीक अथवा रुद्राक्ष
आसन – लाल कम्बल
दिशा- पश्चिम
समय : रात्रिकालीन 11 बजे से
कुल 51 माला जाप, समय निर्धारित नही क्यूंकि कुछ को 7 दिन कुछ को 14 दिन कुछ को 6 माह का समय भी लग जाता है सिद्धि में।

रतिप्रिया यक्षिणी मंत्र – “ ॐ क्लीं आगच्छ रतिप्रिये स्वाहा ”

सूती कपड़े पर रतिप्रिया यक्षिणी का चित्र निर्मित कर उसकी पूजा करने का विधान है यक्षिणी काम सुख /रति सुख, धन वैभव के साथ वशीकरण शक्ति प्रदान करती हैं । यह रतिप्रिया यक्षिणी साधक की सारी आर्थिक तंगी को दूर कर उसे आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है। अगर ये प्रसन्न हो जाये तो साधक कुबेर की तरह जीवन जीता है। यह साधक की आर्थिक उन्नति में सहायक होती है । भगवान शिव का दत्तात्रेय को कथन है कि मेरी प्रिय यक्षिणी साधना में न तो अंगन्यास है, न करन्यास और न छन्द है, यदि कुबेर का मंत्र न भी हो तो भी इसकी पूजा साधना करने से पूर्ण फल अवश्य प्राप्त होता है।

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जय माँ कामाख्या